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दिल्ली की शादी बारात
आज कल दिल्ली में गुलाबी ठण्ड पड़ रही है! कभी गुनगुनी ठण्ड है तो कभी पहाड़ी इलाकों से आते ठंडी हवाओं के झोंके! ऐसे ही गुलाबी मौसम में एक और मौसम आया है शादीओं का मौसम! भारतीय शादियां वैसे ही अपने एक अलग खास अंदाज जैसे खान पान , कपडे , लत्ते, गहने बाराती आदि के लिए प्रसिद्ध है! वर पक्ष का मित्रों रिश्तेदारों को गाजे बाजे के साथ वधु पक्ष के यहाँ जाना इसे ही बारात कहा जाता है ! बेचारा दूल्हा शेरवानी पहनकर , सर पर सेहरा बाँध, कमर पर तलवार लटकाकर किसी शूरवीर की तरह दुल्हन को ब्याहने जाता है लेकिन शायद उसे पता नहीं होता की वह आज का ही दूल्हा राजा है उसके बाद तो दुल्हन रानी का हुकम ही घर में चलेगा! बाराती भी बड़े मस्त अंदाज में नाचते गाते चलते है और यदि उसमे कुछ कुंवारे लड़के है तो वह मन ही मन ये प्रार्थना करते हुए चलते है प्रभु आज कन्या पक्ष की तरफ से कोई सुन्दर सी कन्या उनेह दिख जाय जिससे लगे हाथ वह भी अपनी प्रेम कहानी शुरू कर ले!
इधर वधु पक्ष की तरफ भी तैयारियां पूरे चरम पर है शादी का पंडाल सज चुका है! बारात का ही इंतजार हो रहा है! डी जे लग चुका है! उच्च कोटि संगीत में थिरकते क्या बच्चे और क्या जवान और क्या बूढ़े और अगर उसमे भी मदिरा पान किया हुआ है तो क्या कहने ऐसा उच्च कोटि का नृत्य फिर तो आपने अपने सम्पूर्ण जीवन में किसी सिनेमा में नायक या नायिका को भी करते हुए नहीं देखा होगा! सिनेमा में तो फिर भी बेचारा निर्माता पैसा देकर नृत्य निर्देशक से नायक या नायिका को नृत्य करवाता है पर हमारी भारतीय शादियों में बिना नृत्य सीखे ही एक से एक धांसू नृत्य कलाकार होते है जो रुमाल वगैहरा निकल कर बड़ा ही शानदार नृत्य प्रस्तुत करते है !
अब आइये पंडाल के दूसरी तरफ चलते है! शादी के प्रांगण में आपको कई अप्सराये घूमती नजर आएँगी चौकिये नहीं ये सवर्ग की अप्सराये नहीं है यह तो भारतीय महिलाये है जो चमकती साड़ी, विभिन्न साइज की बिंदी, चूड़ियों, भारी जेवर में बिलकुल अलग नजर आती है की इनके पति भी चोंक जाते है क्या ये वही है जिससे में ने विवाह किया था! कितना ही सर्द मौसम हो यह स्वेटर या शाल नहीं लेती क्योंकि उससे साडी तथा मेकप अच्छा नहीं लगता! वैसे भारत सरकार को एक अवार्ड इन महिलाओं की लिए भी रखना चाहिए!
जब तक खान पान की बात ना हो तब तक भारतीय शादियों का वर्णन अधूरा है! चाट पकोड़ी , गोल गप्पे से लेकर लजीज व्यंजन होते है! यहाँ कोई डाइटिंग का सिद्धांत नहीं चलता! हर उम्र का वर्ग इस पर टूटा रहता है ! कई महानुभवों की प्लेट देखकर ऐसा लगता है जैसे कई दिनों से यह उपवास पर थे या कल भोजन हो ना हो इसलिए आज ही जी भरकर खा लो !
बारात अब पहुंच चुकी है! आधे बाराती डी जे की तरफ बढ़गये है , कुछ खान पान की तरफ जल्दी जल्दी बढ़ रहे है कही खाना खत्म ना हो जाये कुछ दुलेह के साथ स्टेज में सिपाही की तरह खड़े है ! कन्या धीरे धीरे हाथ में वरमाला लेकर स्टेज में आ गयी है! एक बात आज तक समझ नहीं आई जब सारा विवाह का बंदोबस्त हो गया है तो बारातीगण ये क्यों चिल्लाते है , दुलेह राजा वरमाला पहनने के लिए गर्दन नहीं झुकाओ! भैया जब वरमाला पहननी नहीं थी तो बारात ले के आया ही क्यों? इधर दुल्हन मन ही मन सोच रही है आज जितनी गर्दन उठानी है उठा लो उसके बाद तो गृहस्थी का ऐसा बोझ पड़ेगा की गर्दन अपने आप ही झुकी रहेगी! खैर वरमाला पहनाई जा चुकी है दोनों पक्ष के लोग अब बारी बारी से दूल्हा दुल्हन के साथ फोटो खिचा रहे है!
तो मित्रों आप सभी से निवेदन है की यदि आपके घर भी किसी की शादी का कार्ड आयाहुआ है तो कृपया शादी में जरूर जाये! वर वधु को आशर्वाद दे तथा इस भागती दौड़ती जिंदगी को थोड़ी देर ब्रेक देकर विवाह समाहरो का आनंद उठाये!
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